सूरज का सातवाँ घोड़ा: Suraj Ka Satvan Ghoda by धर्मवीर भारती, Dharamvir Bharati, Dharamvir Bharati

सूरज का सातवाँ घोड़ा: Suraj Ka Satvan Ghoda

धर्मवीर भारती, Dharamvir Bharati, Dharamvir Bharati

96 pages first pub 1952 (editions)

fiction classics challenging reflective medium-paced
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Description

सूरज का सातवाँ घोड़ा धर्मवीर भारती भूमिका 'सूरज का सातवाँ घोड़ा' एक कहानी में अनेक कहानियाँ नहीं, अनेक कहानियों में एक कहानी है। वह एक पूरे समाज का चित्र और आलोचन है; और जैसे उस समाज की अनंत शक्तियाँ परस्पर-संबद्ध, परस्पर आश्रित और परस्पर संभूत है...

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